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<p>भारत में कोऑपरेटिव बैंकों का संकट समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है. एक कोऑपरेटिव का मामला ठंडा पड़ता है, उसके पहले किसी दूसरे के संकट का बाजार गर्म हो जाता है. ताजा मामले में एक और कोऑपरेटिव पर संकट के बादल छाए हुए हैं. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कहीं इसका भी हाल पीएमसी बैंक जैसा न हो जाए.</p>
<h3>बैंकिंग गतिविधियों पर पाबंदी नहीं</h3>
<p>यह मामला अभ्युदय कॉपरेटिव बैंक का है और इस मामले में रिजर्व बैंक ने बड़ा एक्शन लिया है. रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक के बोर्ड को अगले एक साल के लिए सुपरसीड करने का ऐलान किया. हालांकि रिजर्व बैंक ने साथ ही ये भी कहा कि बैंक के लिए बिजनेस के ऊपर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है. बकौल रिजर्व बैंक, अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक की सामान्य बैंकिंग गतिविधियां पहले की तरह ही जारी रहेंगी.</p>
<h3>इन्हें मिली साल भर की जिम्मेदारी</h3>
<p>रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने गंभीर चिंताओं की वजह से अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक के बोर्ड को सुपरसीड करने का फैसला लिया है. सेंट्रल बैंक ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक सत्य प्रकाश पाठक को अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक का एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया है. अगले एक साल के लिए सत्य प्रकाश पाठक ही अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक के सारे मामलों को संभालेंगे.</p>
<h3>कमिटी ऑफ एडवाइजर्स के सदस्य</h3>
<p>आरबीआई ने एडमिनिस्ट्रेटर के अलावा एक कमिटी ऑफ एडवाइजर्स की भी नियुक्त की है, जिसका काम एडमिनिस्ट्रेटर को उनके काम में सहयोग करना है. एसबीआई के पूर्व महाप्रबंधक वेंकटेश हेगड़े, चार्टर्ड अकाउंटेंट महेंद्र छाजेड और कॉस्मोस कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक महेंद्र गोखले को कमिटी ऑफ एडवाइजर्स का सदस्य बनाया है.</p>
<h3>इस कारण लेना पड़ा एक्शन</h3>
<p>रिजर्व बैंक का कहना है कि अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक के संचालन को लेकर गंभीर आपत्तिंया थीं. गवर्नेंस के खराब स्टैंडर्ड के चलते उसे इस तरह का एक्शन लेने पर मजबूर होना पड़ा है. बैंक अब आगे एडमिनिस्ट्रेटर की देख-रेख में काम करेगा. चूंकि अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक के ऊपर कोई बिजनेस रिस्ट्रिक्शन नहीं लगा है, इस एक्शन के बाद भी सामान्य बैंकिंग कामकाज होता रहेगा.</p>
<h3>महाराष्ट्र का ही है ये कोऑपरेटिव</h3>
<p>अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक मुंबई सेंटर्ड है. कुछ समय पहले जिस पीएमसी बैंक का संकट सामने आया था, वह भी महाराष्ट्र सेंटर्ड था. पीएमसी बैंक के मामले में भी रिजर्व बैंक को अंतत: सारी कमान अपने हाथों में लेने की जरूरत पड़ गई थी. उस बैंक के मामले में बैंकिंग गतिविधियों पर भी पाबंदियां लगाई गई थीं.</p>
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