Home Business आज से T+0 सेटलमेंट की शुरुआत, बीटा वर्जन में उपलब्ध होंगे ये 25 शेयर

आज से T+0 सेटलमेंट की शुरुआत, बीटा वर्जन में उपलब्ध होंगे ये 25 शेयर

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आज से T+0 सेटलमेंट की शुरुआत, बीटा वर्जन में उपलब्ध होंगे ये 25 शेयर

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शेयर बाजार में सेटलमेंट की नई व्यवस्था (T+0 Settlement) का बहुप्रतीक्षित इंतजार आज समाप्त होने वाला है. इसके बीटा वर्जन को आज गुरुवार 28 मार्च से शुरू किया जा रहा है. हालांकि अभी बीटा वर्जन में T+0 सेटलमेंट की सुविधा सभी शेयरों पर उपलब्ध नहीं होगी.

सेबी बोर्ड ने इसी महीने दी मंजूरी

आज से शुरू हो रहे बीटा वर्जन में T+0 सेटलमेंट की सुविधा 25 शेयरों पर मिलेगी. बीएसई ने उन 25 शेयरों की सूची इसी सप्ताह जारी की, जिनके साथ T+0 सेटलमेंट की शुरुआत हो रही है. इससे पहले सेबी बोर्ड ने इसी महीने T+0 सेटलमेंट से जुड़े एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. सेबी बोर्ड के सामने आए प्रस्ताव में T+0 सेटलमेंट को चुनिंदा शेयरों और चुनिंदा ब्रोकरों के साथ 28 मार्च से शुरू करने की बात कही गई थी.

इन 25 शेयरों के साथ शुरुआत

अभी जिन 25 शेयरों के साथ T+0 सेटलमेंट की शुरुआत हो रही है, उनमें अंबुजा सीमेंट्स, अशोक लीलैंड, बजाज ऑटो, बैंक ऑफ बड़ौदा, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, बिड़ला सॉफ्ट, सिप्ला, कॉफोर्ज, डिविस लेबोरेटरीज, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, इंडियन होटल्स कंपनी, जेएसडब्ल्यू स्टील, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, एलटीआई माइंडट्री, एमआरएफ, नेस्ले इंडिया, एनएमडीसी, ओएनजीसी, पेट्रोनेट एलएनजी, संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल, भारतीय स्टेट बैंक, टाटा कम्युनिकेशंस, ट्रेंट, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और वेदांता शामिल हैं.

अभी है सेटलमेंट की ऐसी व्यवस्था

सेबी लंबे समय से प्रयास कर रहा था कि भारतीय बाजार में इंस्टैंट सेटलमेंट की व्यवस्था लागू हो. अभी बाजार में T+1 Settlement की व्यवस्था लागू है. T+1 Settlement का मतलब है ऑर्डर इनिशिएट करने के एक दिन बाद उसका सेटलमेंट. अब उसकी जगह T+0 Settlement की व्यवस्था लागू हो रही है, यानी जिस दिन ऑर्डर को इनिशिएट किया जाएगा, उसी दिन उसको सेटल भी किया जाएगा.

T+0 Settlement से होंगे ये फायदे

सेबी का लक्ष्य अंतत: इंस्टैंट सेटलमेंट को लागू करना है. उसके लिए पहले अभी T+0 Settlement का ट्रायल लिया जाएगा. आज से शुरू हो रहे बीटा वर्जन की 3 महीने बाद पहली बार समीक्षा की जाएगी. उसके 3 महीने बाद यानी अभी से 6 महीने के बाद T+0 Settlement के प्रयोग की दूसरी समीक्षा होगी. दोनों समीक्षा के बाद सेटलमेंट की नई व्यवस्था को लेकर आगे का निर्णय लिया जाएगा. ऐसा माना जा रहा है कि सेटलमेंट में लगने वाला समय कम होने से न सिर्फ लागत में कमी आएगी, बल्कि बाजार में पारदर्शिता भी बेहतर होगी.

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