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भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) समय के साथ नए-नए क्षेत्रों में कारोबार का विस्तार कर रही है. एक समय था जब रिलायंस इंडस्ट्रीज का बिजनेस पेट्रोलियम और रसायन के इर्द-गिर्द घूमता था, लेकिन अभी टेलीकॉम से लेकर रिटेल तक में कपंनी ने खासा विस्तार किया है. इसी तरह मुकेश अंबानी की कंपनी न्यू एनर्जी (RIL New Energy) पर काफी ध्यान दे रही है, जिससे उसे मोटी कमाई होने की उम्मीद है.
इस ब्रोकरेज फर्म ने दिया अनुमान
मिंट की एक रिपोर्ट में ब्रोकरेज फर्म सैनफोर्ड सी बर्नस्टीन के हवाले से कहा गया है कि उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज सौर से हाइड्रोजन तक फैले नए ऊर्जा कारोबार से 2030 तक 10-15 बिलियन डॉलर की कमाई कर सकती है. हालांकि बर्नस्टीन से इसके साथ ही जोड़ा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज को प्रौद्योगिकी में अपनी सीमित विशेषज्ञता की भरपाई नए अधिग्रहण या पार्टनरशिप के जरिए करनी होगी.
रिलायंस की महत्वाकांक्षी योजना
सैनफोर्ड सी बर्नस्टीन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वच्छ ऊर्जा (जिसमें सौर ऊर्जा से लेकर बैटरी, इलेक्ट्रोलाइजर और फ्यूल सेल तक शामिल हैं) के क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज की योजना महत्वाकांक्षी है और कंपनी इसमें भारी-भरकम निवेश करने वाली है. इस तरह स्वच्छ ऊर्जा रिलायंस के लिए विकास का नया स्तंभ है. भारत 2030 तक 280 गीगावॉट सौर ऊर्जा और 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रहा है.
इस तरह बढ़ेगा स्वच्छ ऊर्जा का बाजार
ब्रोकरेज कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, हमारा अनुमान है कि यात्री और वाणिज्यिक वाहन श्रेणी में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या पांच फीसदी पर पहुंचेगी, जबकि दोपहिया वाहनों के मामले में यह 21 फीसदी होगी. इससे स्वच्छ ऊर्जा का कुल उपलब्ध बाजार अभी के 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 में 30 बिलियन डॉलर का हो सकता है. वहीं साल 2050 तक यह 200 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है.
इन क्षेत्रों में होगा रिलायंस का दबदबा
रिलायंस ने सौर विनिर्माण के साथ-साथ हाइड्रोजन बाजार में उतरने का हाल ही में ऐलान किया है. रिलायंस की योजना 2030 तक 100 गीगावॉट की स्थापित सौर क्षमता पाने की है, जो देश के 280 गीगावॉट के लक्ष्य का 35 फीसदी है. बर्नस्टीन ने कहा, हमारा अनुमान है कि रिलायंस साल 2030 तक सौर बाजार के 60 फीसदी, बैटरी बाजार के 30 फीसदी और हाइड्रोजन बाजार के 20 फीसदी हिस्से पर कब्जा करने में सफल रहेगी. इस तरह रिलायंस 2030 तक नए ऊर्जा कारोबार से लगभग 10-15 बिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त कर सकती है.
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