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बाजार नियामक सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को राहत दी है. ऐसे एफपीआई को अब डिस्क्लोजर के एडिशनल रिक्वायरमेंट से छूट मिल गई है, जिनका 50 फीसदी से ज्यादा भारतीय एक्सपोजर किसी एक ही कॉरपोरेट ग्रुप में है. इसके अलावा इंस्टैंट सेटलमेंट पर भी सेबी ने एक अहम फैसला लिया.
कारोबार सुगमता को बढ़ावा
एक दिन पहले शुक्रवार को बाजार नियामक सेबी के बोर्ड की बैठक हुई. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के बोर्ड ने कुछ एफपीआई को एडिशनल डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट से छूट देने के प्रस्ताव पर विचार किया और उसे मंजूरी दे दी. सेबी के इस कदम को भारत में कारोबार सुगमता को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
ऐसे एफपीआई को मिलेगी छूट
सेबी ने कुछ फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों को डिस्क्लोजर के अतिरिक्त प्रावधानों से छूट देने के बारे में पिछले महीने कंसल्टेशन पेपर जारी किया था. पेपर के माध्यम से सेबी ने विभिन्न पार्टियों से इस छूट को लेकर टिप्पणियां मंगाई थी. यह छूट उन एफपीआई के लिए है, जिनका 50 फीसदी से ज्यादा भारतीय निवेश किसी एक ही कॉरपोरेट ग्रुप में है. इसके साथ ही समूह की सबसे प्रमुख कंपनी में सभी एफपीआई की कुल हिस्सेदारी टोटल इक्विटी शेयर के 3 फीसदी से कम होनी चाहिए.
28 मार्च से शुरू होगा ये प्रयोग
इसके साथ ही सेबी बोर्ड ने इंस्टैंट सेटलमेंट से जुड़े एक प्रस्ताव पर भी फैसला लिया. वैकल्पिक इंस्टैंट सेटलमेंट यानी T+0 सेटलमेंट के बीटा वर्जन को लेकर बोर्ड के सामने एक प्रस्ताव आया था, जिसे बोर्ड ने मंजूर कर दिया. इंस्टैंट सेटलमेंट को अभी 25 शेयरों में आजमाने का प्रस्ताव था. इसे अभी कुछ चुनिंदा ब्रोकर्स के साथ आजमाया जाएगा. इसकी शुरुआत 28 मार्च से होगी.
दो बार की जाएगी समीक्षा
बीटा वर्जन की शुरुआत के बाद सेबी विभिन्न पक्षों के साथ परामर्श करेगा. वैकल्पिक इंस्टैंट सेटलमेंट के यूजर्स से भी फीडबैक लिया जाएगा. सेबी का बोर्ड इंस्टैंट सेटलमेंट के बीटा वर्जन को लगातार मॉनिटर करेगा. अभी बीटा वर्जन की शुरुआत के तीन महीने बाद पहली समीक्षा होगी, जबकि 6 महीने के बाद दूसरी समीक्षा होगी. दोनों समीक्षा के बाद तय किया जाएगा कि इंस्टैंट सेटलमेंट पर क्या पक्का फैसला होगा.
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