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Indian Economy: भारतीय अर्थव्यवस्था 8 फीसदी तक हर वर्ष विकास करती रही तो 2028 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था के ग्रोथ में चीन से उसका ज्यादा योगदान रह सकता है. इसके लिए पारंपरिक सेक्टर्स जैसे क्षेत्रों में ज्यादा निवेश की आवश्यकता होगी. बार्कलेज पीएलसी (Barclays Plc) ने अपनी एक रिपोर्ट में ये बातें कही है.
बार्कलेज के मुताबिक भारत को माइनिंग, यूटिलिटीज, ट्रांसपोर्ट और स्टोरेज जैसे सेक्टर्स में ज्यादा निवेश करना होगा. बार्कलेज के अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया ने अपने नोट में लिखा कि इन सेक्टर्स में ज्यादा निवेश किए जाने का असर पूरे अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा. उन्होंने लिखा कि पिछले कुछ वर्षों में इन सेक्टर्स में निवेश में कमी देखने को मिली है और टेलीकम्यूनिकेशन और डिजिटल सेक्टर्स में निवेश बढ़ा है. पर सरकार की तरफ से इन परंपरागत सेक्टर्स में ज्यादा निवेश किए जाने की जरुरत है.
राहुल बजोरिया ने अपने नोट में लिखा परंपरागत सेक्टर्स में ज्यादा निवेश से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और लोगों की आय बढ़ेगी जिससे आर्थिक विकास को गति देने में मदद मिलेगी जो कि पॉलिसीमेकर्स भी चाहते हैं. 2005 से 2010 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था 8 फीसदी के सालाना दर से औसतन विकास कर रहा था. और अगले वर्ष के लोकसभा चुनावों के बाद नई सरकार व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखती है तो 8 फीसदी के दर से फिर से सालाना दर के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था विकास कर सकती है. बार्कलेज ने पिछले महीने जारी किए गए एक रिपोर्ट में ये अनुमान जताया था. ऐे हुआ तो भारत वैश्विक ग्रोथ में सबसे बड़ा योगदान देने वाला देश होगा और चीन के साथ अपने अंतर को कम करने की स्थिति में भी होगा.
बार्कलेज के मुताबिक आईएमएफ के डेटा के मुताबिक वैश्विक जीडीपी में चीन का योगदान अगले पांच वर्षों में 2028 तक 26 फीसदी रह सकता है. जबकि भारत का योगदान 16 फीसदी रहने का अनुमान है जो कि 6.1 फीसदी सालाना ग्रोथ रेट के आधार पर लगाया गया है. अगर भारत इस अवधि 8 फीसदी के दर से सालाना आर्थिक विकास दर को हासिल करता है तो चीन के साथ अंतर को पाटने में मदद मिल सकती है.
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