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जल्द ही क्रेडिट लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए हो सकता है कमीशन कैप का फैसला-जानें पूरी खबर

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जल्द ही क्रेडिट लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए हो सकता है कमीशन कैप का फैसला-जानें पूरी खबर

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Life Insurance Companies: जीवन बीमा कंपनियां जल्द ही क्रेडिट लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज के लिए कॉर्पोरेट एजेंसियों पर 30 फीसदी कमीशन कैप लगाने का फैसला ले सकती हैं. क्रेडिट लाइफ इंश्योरेंस, लोन के फुल रीपेमेंट से पहले बीमित व्यक्ति की मृत्यु के मामले में लोन रीपेमेंट में मदद के लिए डिजाइन की गई एक प्रकार की पॉलिसी है. खबरों के मुताबिक जीएसटी चोरी की चिंताओं के बीच सेल्फ रेगुलेशन के लिए लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां इस मामले पर आम सहमति बनाने के करीब हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जीवन बीमा कंपनियां क्रेडिट लाइफ पॉलिसीज के लिए बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) सहित कॉर्पोरेट एजेंसियों को दिए जाने वाले कमीशन पर 30 फीसदी की लिमिट लागू करने के लिए एक समझौते पर पहुंचने की कगार पर आ गई हैं.

कहां से आई है खबर

इकनॉमिक टाइम्स को अपने सूत्रों के मुताबिक खबर मिली है कि पिछले कुछ महीनों में इस मुद्दे को लेकर लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल में पर्याप्त चर्चा हुई हैं. हालांकि अभी इसको लेकर काउंसिल की तरफ से कोई आधिकारिक लेटर नहीं आया है लेकिन सूत्रों के मुताबिक बातचीत काफी एडवांस्ड स्टेज पर हैं जिसके जरिए सेल्फ रेगुलेशन की तर्ज पर चीजों को तय किया जा सकेगा.

क्यों लिया जाएगा ये कदम

ये कदम इसलिए लिया जा रहा है क्योंकि बीमा इंडस्ट्री अपनी मार्केटिंग प्रेक्टिस में कुछ बदलाव के जरिए इसे समायोजित करने की कोशिश कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीएआई ने फैसला लिया है कि कंपनियों के बजाए प्रोडक्ट वाइज कैप लगाई जाए. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि बीमाकर्ता जीएसटी चोरी के आरोपों का सामना कर रहे थे.

आईआरडीएआई (इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) भारत के इंश्योरेंस सेक्टर की रेगुलेटरी अथॉरिटी है.

सारा मामला क्या है?

मार्च में आईआरडीएआई ने कमीशन के पेमेंट से जुड़े रेगुलेशन को लागू किया था जिसे पारंपरिक प्रोडक्ट स्पेसफिक कमीशन की जगह पर लाया गया था जिससे बीमा कंपनियों के ओवरऑल खर्चों के ऊपर एक कैप या लिमिट लगाई जा सके. इसके अंतर्गत कंपनियों को निर्देश दिया गया था कि बीमा के ऑपरेशंस के खर्चों को ओवरऑल 30 फीसदी की एक्सपेंस लिमिट के तहत कवर किया जाना चाहिए. हालांकि इसके बावजूद भी बीमा कंपनियां ज्यादातर 30-35 फीसदी कमीशन वाली या इससे ज्यादा प्रीमियम वाली पॉलिसी को अपना रहे थे जिससे उनका मार्केट शेयर बढ़ाया जा सके. 

रिपोर्ट के मुताबिक ये पाया गया कि कुछ बैंक-इंश्योरर और एनबीएफसी-इंश्योरर पार्टनरशिप वाले ऐसी पॉलिसी दे रहे हैं जिसमें 1 करोड़ रुपये के हाउसिंग के साथ समान अमाउंट वाले सम एश्योर्ड को साधने के लिए प्रीमियम को 5 फीसदी से बढ़ाकर सीधा 35 फीसदी कर दिया गया. 

क्रेडिट लाइफ इंश्योरेंस क्या है?

क्रेडिट लाइफ इंश्योरेंस, लोन के फुल रीपेमेंट से पहले बीमित व्यक्ति की मृत्यु के मामले में लोन रीपेमेंट में मदद के लिए डिजाइन की गई एक प्रकार की पॉलिसी है. हालांकि आईआरडीईओ ने पाया कि जबकि ये पॉलिसी ऑप्शनल है फिर भी इसकी कॉस्ट लोन के प्रिंसिपल अमाउंट में जोड़ दी जाती है. यदि ग्राहक इसका चुनाव करता है तो इसके प्रीमियम में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.

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