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Zerodha Clients: स्टॉक ब्रोकिंग फर्म जेरोधा के क्लाइंट्स के लिए बड़ी खबर है. जेरोधा ने अपने क्लाइंट्स से कह दिया है कि 5 अप्रैल यानी शुक्रवार से पहले उन्हें फॉरेन करेंसी डेरिवेटिव पोजीशन को को बंद करना होगा जिससे वो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नए नियमों के तहत अनुपालन कर सकें. 2 अप्रैल से जेरोधा अपने क्लाइंट्स को ये जानकारी लगातार दे रहा है.
स्टॉक ब्रोकिंग फर्म ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि – आरबीआई गाइडलाइंस के मुताबिक व्यापारियों को स्टॉक एक्सचेंज पर करेंसी डेरिवेटिव में ट्रेड करने के लिए अंडरलाइन करेंसी में निवेश की जरूरत होती है. कृपया आरबीआई के नियमों का अनुपालन करने के लिए 05 अप्रैल 2024 से पहले अपनी ओपन पोजीशन को बंद करना सुनिश्चित करें, “
As per RBI guidelines, traders need to have exposure to the underlying currency to trade in currency derivatives on the stock exchange. Please ensure to close your open position before 05th April 2024 to be compliant with RBI rules.
Further, effective 04th April 2024, you can… https://t.co/4YJe9LTvCx
— Zerodha (@zerodhaonline) April 3, 2024
करेंसी में नई पोजीशन लेने की मंजूरी नहीं मिलेगी- आरबीआई
4 अप्रैल से लागू होने के बाद प्लेटफॉर्म यूजर्सम अपनी करेंट पोजीशन से बाहर निकल सकते हैं लेकिन उन्हें करेंसी में नई पोजीशन लेने की मंजूरी नहीं दी जाएगी. अगर यूजर्स नई पोजीशन लेना चाहते हैं, तो उन्हें डेक्लेरेशन फॉर्म जमा करना होगा. अगर ट्रेडर्स करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेड करना चाहते हैं तो आरबीआई ने ट्रेडर्स को अनिवार्य रूप से फॉरेन करेंसी में अंडरलाइन्ग कॉन्ट्रेक्टेड एक्सपोजर रखना अनिवार्य कर दिया है.
जेरोधा ने आगे बताया कि 100 मिलियन डॉलर (काल्पनिक कॉन्ट्रेक्ट वैल्यू) से ज्यादा एक्सपोजर वाले ट्रेडर्स के लिए, एक कस्टोडियन पार्टनर या अधिकृत डीलर को नॉमिनेट करना अनिवार्य है. इसकी तुलना में छोटे एक्सपोजर वाले लोगों के लिए, करेंसी ट्रेडिंग बताने वाला एक साधारण डेक्लेरेशन कॉन्ट्रेक्ट वाले एक्सपोज़र की हेजिंग के लिए काफी है.
जो लोग इस डेक्लेरेशन फॉर्म को नहीं देंगे वो अप्रैल से शुरू होने वाले नए सेगमेंट में नई पोजीशन को शुरू करने में असफल रहेंगे. हालांकि एग्जिट पोजीशन की मंजूरी बनी रहेगी. यह सलाह दी जाती है कि ओपन पोजीशन पर बारीकी से नजर रखें क्योंकि 5 अप्रैल तक लिक्विडिटी कम हो सकती है, जब आरबीआई का सर्कुलर प्रभावी हो जाएगा.
क्या है आरबीआई गाइडलाइंस की डिटेल्स
आरबीआई गाइडलाइंस के मुताबिक, कॉन्ट्रेक्टेड एक्सपोजर का मतलब फेमा, 1999 या उसके तहत बनाए गए किसी भी नियम या विनियम के तहत करेंट या कैपिटल अकाउंट ट्रांजेक्शन की वजह से पैदा होने वाला करेंसी रिस्क है.
डेक्लेरेशन फॉर्म कैसे जमा करें?
डेक्लेरेशन फॉर्म डाउनलोड करें (पीडीएफ)
डेक्लेरेशन फॉर्म पर सिग्नेचर करें (ई-साइन/वेट साइन)
डेक्लेरेशन फॉर्म फॉर्म की सॉफ्ट कॉपी जमा करने के लिए एक टिकट बनाएं.
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