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<p>चालू वित्त वर्ष अब समाप्त होने की दहलीज पर है. अभी वित्त वर्ष का आखिरी महीना चल रहा है और अब इस महीने में सिर्फ दो सप्ताह बचे हुए हैं. मार्च खत्म होने के बाद वित्त वर्ष 2023-24 भी खत्म हो जाएगा. उसके बाद अगले महीने की पहली तारीख यानी 1 अप्रैल से नए वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत हो जाएगी.</p>
<p>टैक्यपेयर्स के लिए यह महत्वपूर्ण समय है. खासकर इनकम टैक्स के दायरे में आने वाले टैक्सपेयर्स के लिए यह टैक्स बचाने का आखिरी मौका है. जो टैक्सपेयर इनकम टैक्स की सेविंग करना चाहते हैं, उन्हें उपलब्ध विकल्पों में 31 मार्च से पहले निवेश करना होगा. टैक्स बचाने में इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 80सी काफी मददगार साबित होता है. इसके तहत टैक्सपेयर 1.5 लाख रुपये तक टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. बहुत सारे टैक्सपेयर इसके लिए टर्म इंश्योरेंस खरीदते हैं. जीरोधा ने टैक्सपेयर्स को उन 3 आम गलतियों के बारे में बताया है, जो टैक्सपेयर अक्सर टर्म इंश्योरेंस खरीदने में कर देते हैं.</p>
<h3>कवर के कैलकुलेशन में गलती</h3>
<p>जीरोधा के अनुसार, लोग सबसे पहली गलती कवर के कैलकुलेशन में करते हैं. लोग इसके लिए सालाना इनकम के 10 से 15 गुने के थंब रूल को फॉलो करते हैं, जो ठीक नहीं है. सबकी अपनी जरूरतें और जिम्मेदारियां होती हैं, जो औसत से अलग होती हैं. इस कारण टर्म इंश्योरेंस खरीदते समय टैक्सपेयर को अपनी उम्र, अपने ऊपर निर्भर लोगों, टेन्योर, खर्च, लोन, किराया, बच्चों की पढ़ाई की फीस आदि पर भी गौर करना चाहिए.</p>
<h3>इंश्योरेंस को निवेश समझने की भूल</h3>
<p>सेल्समैन आपको एंडोमेंट प्लान या यूलिप खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, जिनमें डेथ बेनेफिट के साथ इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न के फायदे मिलते हैं. टैक्सपेयर को ऐसे प्लान खरीदने से बचना चाहिए. ये सिंपल प्लान की तुलना में काफी महंगे साबित होते हैं. निवेश जिस हिसाब से ज्यादा होता है, उसके हिसाब से रिटर्न या डेथ बेनेफिट नहीं मिल पाता है. उससे अच्छा है कि सिंपल प्लान खरीदें और बाकी पैसे को कहीं अन्य निवेश करें.</p>
<h3>बिना वजह लंबा टेन्योर</h3>
<p>कई बार लोग ऐसा सोचते हैं कि इंश्योरेंस प्लान मौत तक के लिए होना चाहिए. यह भी ठीक नहीं है. जब तक आपकी उम्र 60 या 70 होगी, तब तक आपके ऊपर निर्भर लोग फाइनेंशियली स्टेबल हो जाएंगे. वे न सिर्फ अपना, बल्कि आपका और अपने भाइयों-बहनों का भी ध्यान रखने में सक्षम हो जाएंगे. मतलब बिना जरूरत के लंबे टेन्योर वाले प्लान पर अतिरिक्त खर्च करने का मतलब नहीं बनता है.</p>
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