Home Business देश को मिला पहला एआई यूनिकॉर्न, ‘कृत्रिम’ को 5 करोड़ डॉलर की फंडिंग, एक अरब डॉलर हुई मार्केट वैल्यू

देश को मिला पहला एआई यूनिकॉर्न, ‘कृत्रिम’ को 5 करोड़ डॉलर की फंडिंग, एक अरब डॉलर हुई मार्केट वैल्यू

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देश को मिला पहला एआई यूनिकॉर्न, ‘कृत्रिम’ को 5 करोड़ डॉलर की फंडिंग, एक अरब डॉलर हुई मार्केट वैल्यू

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Bhavish Aggarwal Krutrim: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दौड़ में भारत को बड़ी सफलता मिली है. एआई स्टार्टअप कृत्रिम (Krutrim) को देश का पहला एआई यूनिकॉर्न (AI Unicorn) होने का दर्जा मिल गया है. ओला (OLA) के सीईओ भाविश अग्रवाल (Bhavish Aggarwal) के एआई स्टार्टअप कृत्रिम को 5 करोड़ डॉलर की फंडिंग मिली है. मैट्रिक्स पार्टनर्स इंडिया और अन्य निवेशकों ने कृत्रिम की मार्केट वैल्यू 1 अरब डॉलर लगाई है. इसके साथ ही वह देश का पहला एआई यूनिकॉर्न स्टार्टअप बन गया है. 

एक महीना पहले ही लॉन्च किया था भाषा मॉडल

एआई स्टार्टअप कृत्रिम ने लगभह एक महीना पहले ही अपना भाषा मॉडल लॉन्च किया था. कृत्रिम कंपनी का मॉडल केवल भाषाओं तक सीमित नहीं है. यह स्टार्टअप डेटा सेंटर विकसित कर रहा है. साथ ही एआई इकोसिस्टम के लिए सर्वर और सुपर कंप्यूटर बनाने की योजना भी बना रहा है. भाविश अग्रवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया कि कृत्रिम ने अपना पहला फंडिंग राउंड सफलता से पूरा कर लिया है. यह न केवल कंपनी बल्कि भारत के लिए भी एक ऐतिहासिक क्षण है. भारत को अपना एआई बनाना है. कृत्रिम के जरिए हम यह सपना पूरा करने की पूरी कोशिश करेंगे.

कई भारतीय भाषाओं में काम करने में सक्षम 

भाविश अग्रवाल ने बताया कि भारतीय डेटा पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृत्रिम को 2 ट्रिलियन से ज्यादा टोकन पर ट्रेनिंग दी गई है. यह कई भारतीय भाषाओं में काम करने की ताकत रखता है. कृत्रिम न केवल कई भारतीय भाषाओं को समझ लेता है बल्कि आसानी से उनमें जवाब देने की क्षमता भी रखता है. इसके भाषा मॉडल में फिलहाल कृत्रिम बेस और कृत्रिम प्रो शामिल हैं. हमने इन्हें मल्टीमॉडल फीचर्स और व्यापक ज्ञान की क्षमता के साथ विकसित किया है. यह मॉडल कई भाषाओं के बीच आसानी से स्विच कर सकता है. यह आपको बंगाली कविता, बॉलीवुड फिल्मों की जानकारी और मसाला डोसा की रेसिपी तक आसानी से बता सकता है.

फरवरी में आएगा कृत्रिम का बीटा वर्जन

कृत्रिम का बीटा वर्जन फरवरी, 2024 से लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा. इसकी मदद से एआई एप्लिकेशन बनाने के लिए एपीआई भी उपलब्ध कराई जाएगी. भारत अब बड़े भाषा मॉडल बनाने की ग्लोबल दौड़ में शामिल हो गया है.

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