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Bhavish Aggarwal Krutrim: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दौड़ में भारत को बड़ी सफलता मिली है. एआई स्टार्टअप कृत्रिम (Krutrim) को देश का पहला एआई यूनिकॉर्न (AI Unicorn) होने का दर्जा मिल गया है. ओला (OLA) के सीईओ भाविश अग्रवाल (Bhavish Aggarwal) के एआई स्टार्टअप कृत्रिम को 5 करोड़ डॉलर की फंडिंग मिली है. मैट्रिक्स पार्टनर्स इंडिया और अन्य निवेशकों ने कृत्रिम की मार्केट वैल्यू 1 अरब डॉलर लगाई है. इसके साथ ही वह देश का पहला एआई यूनिकॉर्न स्टार्टअप बन गया है.
India needs to build it own AI, and we @Krutrim are committing ourselves to building the country’s complete AI computing stack. We are excited to announce the successful closure of our first funding round making कृत्रिम – India’s fastest Unicorn and also the first AI unicorn 🙂… pic.twitter.com/sORXgTKjki
— Bhavish Aggarwal (@bhash) January 26, 2024
एक महीना पहले ही लॉन्च किया था भाषा मॉडल
एआई स्टार्टअप कृत्रिम ने लगभह एक महीना पहले ही अपना भाषा मॉडल लॉन्च किया था. कृत्रिम कंपनी का मॉडल केवल भाषाओं तक सीमित नहीं है. यह स्टार्टअप डेटा सेंटर विकसित कर रहा है. साथ ही एआई इकोसिस्टम के लिए सर्वर और सुपर कंप्यूटर बनाने की योजना भी बना रहा है. भाविश अग्रवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया कि कृत्रिम ने अपना पहला फंडिंग राउंड सफलता से पूरा कर लिया है. यह न केवल कंपनी बल्कि भारत के लिए भी एक ऐतिहासिक क्षण है. भारत को अपना एआई बनाना है. कृत्रिम के जरिए हम यह सपना पूरा करने की पूरी कोशिश करेंगे.
कई भारतीय भाषाओं में काम करने में सक्षम
भाविश अग्रवाल ने बताया कि भारतीय डेटा पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृत्रिम को 2 ट्रिलियन से ज्यादा टोकन पर ट्रेनिंग दी गई है. यह कई भारतीय भाषाओं में काम करने की ताकत रखता है. कृत्रिम न केवल कई भारतीय भाषाओं को समझ लेता है बल्कि आसानी से उनमें जवाब देने की क्षमता भी रखता है. इसके भाषा मॉडल में फिलहाल कृत्रिम बेस और कृत्रिम प्रो शामिल हैं. हमने इन्हें मल्टीमॉडल फीचर्स और व्यापक ज्ञान की क्षमता के साथ विकसित किया है. यह मॉडल कई भाषाओं के बीच आसानी से स्विच कर सकता है. यह आपको बंगाली कविता, बॉलीवुड फिल्मों की जानकारी और मसाला डोसा की रेसिपी तक आसानी से बता सकता है.
फरवरी में आएगा कृत्रिम का बीटा वर्जन
कृत्रिम का बीटा वर्जन फरवरी, 2024 से लोगों के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा. इसकी मदद से एआई एप्लिकेशन बनाने के लिए एपीआई भी उपलब्ध कराई जाएगी. भारत अब बड़े भाषा मॉडल बनाने की ग्लोबल दौड़ में शामिल हो गया है.
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