Home Business निजी बैंकों में नौकरी छोड़ने वालों की बढ़ती संख्या पर आरबीआई गवर्नर ने जताई चिंता

निजी बैंकों में नौकरी छोड़ने वालों की बढ़ती संख्या पर आरबीआई गवर्नर ने जताई चिंता

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निजी बैंकों में नौकरी छोड़ने वालों की बढ़ती संख्या पर आरबीआई गवर्नर ने जताई चिंता

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RBI Governor Says: निजी बैंकों में नौकरी छोड़ने वालों की तादाद में बढ़ोतरी देखी जा रही है जिसपर बैंकिंग सेक्टर के रेग्यूलेटर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की प्रतिक्रिया आई है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आरबीआई की बैंकों में नौकरी छोड़ने की दर पर करीबी नजर बनाये हुए है. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों में नौकरी छोड़ने वालों की संख्या में ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है. 

निजी बैंकों में नौकरी छोड़ने वालों की बढ़ी तादाद

दरअसल पिछले कुछ समय में निजी क्षेत्रों के बैंकों में नौकरी छोड़कर जाने वाले कर्मचारियों की संख्या में बड़ी बढ़ोतरी आई है. ज्यादा सेल्स टारगेट, ग्रोथ की सीमित क्षमताएं, वर्कप्लेस में सीनियर का खराब व्यवहार और लॉन्ग वर्किंग घंटों और प्रमोशन में देरी के चलते बैंक कर्मियों के नौकरी छोड़ने की तादाद बढ़ी है. और ये सबसे ज्यादा युवा बैंक कर्मियों में देखने को मिल रहा है. पिछले दिनों सोशल मीडिया में एक बैंक में सीनियर अधिकारी का जूनियर कर्मचारी के साथ दुर्व्यवहार का मामला भी सामने आया था.  

लगातार बढ़ रहा एट्रीशन रेट 

देश की सबसे बड़ी निजी बैंक एचडीएफसी बैंक में कर्मचारियों के छोड़कर जाने यानि एट्रीशन रेट 2022-23 में बढ़कर 34.15 फीसदी पर जा पहुंचा है जो 2021-22 में 27.6 फीसदी रहा था. कोटक महिंद्रा बैंक में भी 2022-23 में 14,175 कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी और जूनियर बैंक कर्मचारियों के बीच नौकरी छोड़ने की दर 58.2 फीसदी पर जा पहुंची. एक्सिस बैंक में 2022-23 में एट्रीशन रेट 34.8 फीसदी रहा था. इतनी बड़ी संख्या में नौकरी छोड़ने वालों की तादाद आईटी सेक्टर में जो नजर आती थी. लेकिन इसका असर अब बैंकिंग सेक्टर पर भी पड़ने लगा है. यही वजह है कि आरबीआई गवर्नर को कहना पड़ा कि इसपर आरबीआई कड़ी नजर रखे हुए है.  

चौंका देंगे जीडीपी के आंकड़े 

आरबीआई गवर्नर ने ये भी कहा कि देश की आर्थिक ग्रोथ की रफ्तार लगातार मजबूत बनी हुई है और दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े सबको चौंका देंगे. उन्होंने इजरायल और हमासे के बीच युद्ध के मद्देनजर कहा कि वैश्विक राजनीतिक अनिश्चितता ग्लोबल ग्रोथ के लिए सबसे बड़ा जोखिम बना हुआ है और भारत इस जोखिम से  निपटने के सबसे बेहतर स्थिति में है. 

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