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Property News: दिल्ली से सटे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पिछले चार सालों में वन बीएचके और टू बीएचके फ्लैटों की संख्या में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. इस तरह के फ्लैटों की संख्या रियल एस्टेट मार्केट में बेहद कम हो गई है. NBT की रिपोर्ट के अनुसार नोएडा अथॉरिटी में चार साल में पास किए गए कई नई प्रोजेक्ट्स और नक्शों में से कोई भी वन बीएचके फ्लैट का नक्शा पास नहीं कराया गया है. वहीं इस दौरान अथॉरिटी के पास 2 BHK के नक्शे भी बेहद कम पास कराए गए हैं. ऐसे में इस डाटा से यह साफ पता चलता है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा हाउसिंग प्रोजेक्ट में छोटे घरों की मांग और बिक्री में कमी देखने को मिल रही है.
मिडिल क्लास वर्ग के बजट से बाहर हो रहे घर
मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक दिल्ली से सटे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 1 और 2 BHK फ्लैट की कमजोर होती मांग से यह पका चल रहा है कि देश के बड़े शहरों में अब बड़ी बिल्डिंग में फ्लैट लेने का सपना मध्यम वर्ग के बजट से बाहर होता जा रहा है. इसके साथ ही इन शहरों में लोग छोटे फ्लैट को रिसेल में लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
3, 4 और 5 BHK फ्लैट की बढ़ी मांग
NBT में छपी रिपोर्ट के मुताबिक नोएडा अथॉरिटी के प्लानिंग विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले चार साल में आए सभी 12 हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में 3, 4 और 5 बीएचके फ्लैट के नक्शे पास कराए गए हैं. इस सभी नक्शों में सर्वेंट रूम वाले फ्लैट की संख्या सबसे ज्यादा थी. ऑथॉरिटी से पास कराए गए 6000 फ्लैट के नक्शे में से 2 बीएचके फ्लैट की संख्या 300 से भी कम रही है. वहीं एक भी वन बीएचके फ्लैट का नक्शा इस दौरान पास नहीं कराया गया है.
क्यों घटी छोटे फ्लैट की मांग?
छोटे फ्लैट की मांग कम होने के पीछे कई कारण है. इसमें सबसे प्रमुख है कि छोटे फ्लैट में बायर को तो फायदा होता है, लेकिन बिल्डर का मुनाफा कम होता है. ऐसे में बिल्डर छोटे के बजाय लग्जरी हाउसिंग पर अब ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. इसके साथ ही बड़े शहरों में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ा है. ऐसे में लोगों के बीच बड़े घरों की मांग बढ़ी है.
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