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RBI on Personal Loan: पिछले कुछ समय से आरबीआई (RBI) पर्सनल लोन की बढ़ती मात्रा से परेशान था. इसके बाद उसने कुछ सख्त कदम उठाते हुए ऐसे कर्जों पर लगाम लगाने का फैसला लिया. इसके चलते तेजी से पर्सनल लोन व्यापार बढ़ा रही कंपनियां सकते में हैं. अब केंद्रीय बैंक (Reserve Bank of India) ने स्पष्ट किया है कि वह नियमों को सख्त करके क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन कारोबार को नहीं रोकना चाहता बल्कि इसका बहुत अधिक मात्रा में इस्तेमाल बंद करना चाहता है. फिलहाल इसकी मात्रा कुल लोन में काफी कम है. इससे अभी कोई खतरा नहीं है.
16 नवंबर को बढ़ा दिया था रिस्क वेट
आरबीआई ने 16 नवंबर को असुरक्षित लोन पर रिस्क वेट बढ़ा दिया था. केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने बताया कि क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन की बहुत अधिक मात्रा को कम करना जरूरी है. हम रिस्क मैनेजमेंट कर रहे हैं. आरबीआई चाहता है कि कर्ज देने के मामलों में बैलेंस रखा जाए. राव ने कहा कि हमने पर्सनल या क्रेडिट कार्ड लोन को रोकने की कोशिश नहीं की है. बस इसकी लगाम कसी है. एनबीएफसी पर्सनल लोन के मामले में बहुत आगे निकलती जा रही थीं. यह जोखिम भरा लोन आगे चलकर संकट का कारण बन सकता था.
घर में आग लगने का इंतजार नहीं कर सकते
इससे पहले आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा था कि हम घर में आग लगने का इंतजार नहीं कर सकते. हमें आग को लगने से रोकना होगा. उन्होंने कहा था कि कई बैंक और एनबीएफसी जरूरत से ज्यादा पर्सनल एवं क्रेडिट कार्ड लोन बांट रहे थे. हमने उन्हें पहले भी चेताया था. नियामक होने के चलते यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि संतुलन बनाकर रखा जाए.
बैंक और एनबीएफसी हुए सतर्क
पेटीएम ने हाल ही में 50 हजार रुपये से छोटे कर्ज बांटने में कमी लाने का एलान किया था. इसके अलावा सभी बैंक और एनबीएफसी ने अपने फिनटेक पार्टनरों से अपील की है कि वह कम से कम पर्सनल लोन बांटें. आरबीआई ने पुष्टि की है कि फिलहाल 50 हजार से छोटे लोन का हिस्सा कुल लोन में सिर्फ 0.5 फीसदी है.
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