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RBI MPC Meeting: वैसे तो अगले 22 दिनों के बाद आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 6 दिसंबर, 2023 से शुरू होगी. और 8 दिसंबर को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में लिए गए फैसले की घोषणा करेंगे जिसमें आरबीआई के पॉलिसी रेट्स रेपो रेट को लेकर रूख भी शामिल है. इस बैठक में पॉलिसी रेट्स में बदलाव की कोई उम्मीद नहीं है.
इस पॉलिसी बैठक से ठीक पहले 13 नवंबर, 2023 को सांख्यिकी मंत्रालय ने अक्टूबर महीने के लिए खुदरा महंगाई दर की घोषणा की जो चार महीने के निचले लेवल 5 फीसदी के नीचे 4.87 फीसदी पर आ चुकी है. आरबीआई खुदरा महंगाई दर में और कमी के लक्ष्य लेकर चल रहा है. हालांकि आरबीआई का अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में महंगाई दर 5.4 फीसदी रह सकती है. वहीं इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 5.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.2 फीसदी महंगाई दर रहने का अनुमान है.
सप्लाई में दिक्कतों के खत्म होने, खाद्य वस्तुओं की कीमतों के घटने, ईंधन के सस्ता होने के चलते खुदरा महंगाई दर घटी है. पर दाल और गेहूं और चावल की महंगाई अभी भी ज्यादा बनी हुई है. कोर इंफ्लेशन भी घटकर 4.4 फीसदी पर आ गई है. कोर इंफ्लेशन में खाद्य और फ्यूल की कीमतों को नहीं मापा जाता है. हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत कांत दास ने कहा कि सेंट्रल बैंक महंगाई को लेकर पूरी तरह सतर्क है. उन्होंने कहा कि आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए देश के आर्थिक विकास को गति देने के साथ महंगाई पर काबू पाने में जुटी है.
हालांकि रबी फसल की उपज बेहतर रही और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी रही तो खुदरा महंगाई दर 2024 में 4 फीसदी के करीब घटकर आ सकती है जिसके बाद रेपो रेट में बदलाव देखने को मिल सकता है. खुदरा महंगाई दर में गिरावट के बाद आरबीआई नए साल में रेपो रेट घटा सकता है जिसके बाद ब्याज दरें घट सकती है.
मई 2022 में खुदरा महंगाई दर के अप्रैल में 7.79 फीसदी पर जाने के बाद एक साल के भीतर हुई 6 मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की हुई बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट को 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया था. रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद होम लोन से लेकर सभी लोन महंगा हो गया. पुराने होम लोन की ईएमआई महंगी हो गई. लेकिन अब खुदरा महंगाई दर में गिरावट के बाद 4 फीसदी के करीब स्थिर रही तो नए साल में महंगी ईएमआई से राहत मिल सकती है.
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