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Wheat Price Hike: गेहूं की बढ़ती कीमतों पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार खुले बाजार में और ज्यादा गेहूं बेचने की तैयारी कर रही है. गेहूं के दाम आठ महीनों के उच्च स्तरें पर जा पहुंचा है. ऐसे में त्योहारी सीजन में उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत दिलाने के लिए केंद्र सरकार खुले बाजार में और ज्यादा गेहूं बेच सकती है.
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने गेहूं के मिलर की बैठकों के बाद कहा कि देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है. और कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार के पास सभी विकल्प खुले हुए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार आटा मिलों और बिस्कुट कंपनियों जैसे बल्क कंज्यूमर को और ज्यादा गेहूं बेच सकती है.
ट्रेडर्स का कहना है कि सप्लाई में कमी के चलते सितंबर के महीने में गेहूं की कीमतों में 4 फीसदी का उछाल देखने को मिला है. वहीं त्योहारी सीजन के मद्देनजर मांग में तेजी उछाल देखने को मिल रहा है. सरकार ने गेहूं की जमाखोरी और कीमतों पर लगाम लगाने के लिए गेहूं की स्टॉक लिमिट को घटाने का फैसला किया है. होलसेल ट्रेडर्स और बड़े रिटेलर्स के लिए स्टॉक लिमिट को 3000 टन से घटाकर 2000 टन कर दिया गया है.
भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के साथ उसका सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है. सरकारी की चिंता गेहूं की कीमतों में जारी तेजी है. गेहूं की अगली फसल मार्च 2024 से पहले नहीं आएगी. वहीं इस मानसून में बारिश में कमी से चलते रबी सीजन में गेहूं का प्रोडक्शन प्रभावित होने की आशंका जाहिर की जा रही है.
इस साल के आखिर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाला है वहीं 2024 में लोकसभा चुनाव है. ऐसे में सरकार किसी भी हालत में गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होने देना चाहती जिससे उसे सत्ताधारी दल को चुनावी नुकसान उठाना पड़े. यही वजह है कि बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार खुले बाजार में हेगूं बेच सकती है जिससे खुदरा बाजार में कीमतों पर काबू पाया जा सके.
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