Home Business सरकार ने घटाए गैस के दाम, जानिए CNG और PNG पर क्या असर पड़ेगा 

सरकार ने घटाए गैस के दाम, जानिए CNG और PNG पर क्या असर पड़ेगा 

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सरकार ने घटाए गैस के दाम, जानिए CNG और PNG पर क्या असर पड़ेगा 

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Natural Gas Price: केंद्र सरकार ने रविवार को नेचुरल गैस के दाम कम किए हैं. इस फैसले के चलते अब रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी डी6 ब्लॉक से निकलने वाली गैस के दाम 9.87 डॉलर प्रति एमबीटीयू (Million British Thermal Unit) हो जाएंगे. घरेलू प्राकृतिक गैस के दाम हर साल 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को तय किए जाते हैं. दाम घटाने का यह फैसला इंटरनेशनल गैस प्राइस में कमी के चलते लिया गया. हालांकि, इस कटोरी से सीएनजी और पीएनजी की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.  

9.87 डॉलर होगा नया रेट 

केंद्र सरकार ने रविवार को एक नोटिफिकेशन के जरिए इस निर्णय की जानकारी दी. पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार, अभी तक घरेलू प्राकृतिक गैस के रेट 9.96 डॉलर प्रति एमबीटीयू थे. एक अप्रैल से इसमें मामूली कटौती की गई है और अगले 6 महीनों के लिए नया रेट 9.87 डॉलर होगा. 

लगातार तीसरी बार कटौती की गई

कठिन क्षेत्रों से निकाली जाने वाले गैस के दाम में यह लगातार तीसरी बार कटौती की गई है. इससे पहले 1 अक्टूबर, 2023 को सरकार ने गैस के रेट में 18 फीसदी की बड़ी कटौती की थी. सरकार ने गैस के दाम 12.12 डॉलर से घटाकर 9.96 डॉलर कर दिए थे. इससे पहले हुई कटौती में रेट 12.46 डॉलर से घटाकर 12.12 डॉलर कर दिए गए थे. घरेलू प्राकृतिक गैस के दाम एक वित्त वर्ष में दो बार तय किए जाते हैं. इस गैस को फिर गाड़ियों में इस्तेमाल होने लायक सीएनजी (CNG) और किचन में प्रयोग होने वाली पीएनजी (PNG) में तब्दील किया जाता है. पीएनजी का इस्तेमाल बिजली बनाने और फर्टिलाइजर उत्पादन में भी किया जाता है.

अलग-अलग फॉर्मूले से तय होते हैं रेट 

सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एवं नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) द्वारा पुराने फील्ड्स (Legacy Fields) से निकाली जा रही गैस के दाम अलग फॉर्मूले से तय होते हैं. इन्हें ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों से जोड़ दिया गया है. इन्हें हर महीने तय किया जाता है. इसके अलावा डीप सी जैसे कठिन और नए इलाकों से निकाली जा रही गैस के दाम तय करने का फॉर्मूला अलग है. चूंकि साल 2023 में इंटरनेशनल रेट कम हुए हैं इसलिए भारत में भी गैस के दाम लगातार नीचे जा रहे हैं. देश की ऊर्जा जरूरतों का 6.3 फीसदी हिस्सा नेचुरल गैस से पूरा हो रहा है. सरकार की कोशिश है कि इस आंकड़े को 2030 तक 15 फीसदी पर ले जाया जाए.

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