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RBI MPC Meeting: शुक्रवार 8 दिसंबर 2023 को भारतीय रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2023-24 में पांचवीं बार मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद लिए गए निर्णय की घोषणा करेगा. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास सुबह 10 बजे एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेंगे. और इस बात के पूरे आसार हैं कि इस बार भी आरबीआई अपने पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं करेगा.
फरवरी 2023 के बाद से आरबीआई ने अब तक जितनी भी मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा की है उसमें पॉलिसी रेट यानि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. अब सवाल उठता है कि 8 दिसंबर को क्या होगा? तो भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि आरबीआई 2024-25 की दूसरी तिमाही से पहले अपने बेंचमार्क रेपो रेट में कोई कटौती नहीं करेगी जो फिलहाल 6.5 फीसदी पर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 6.50 फीसदी पर रेपो रेट स्थिर बना रहेगा और जून 2024 से पहले इसमें कोई बदलाव के आसार नहीं है.
आरबीआई गवर्नर के लिए सबसे राहत की बात ये है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 5 महीने के निचले लेवल 75 डॉलर प्रति बैरल के नीचे जा फिसला है. कच्चे तेल के दाम इन लेवल पर बने रहे तो आने वाले दिनों में सरकार पेट्रोल डीजल के दाम को घटाने का फैसला ले सकती है जिसके बाद महंगाई में और कमी आएगी. ईंधन के सस्ता होने से माल ढुलाई सस्ती होगी जिसका असर वस्तुओं की कीमतों पर पड़ना लाजिमी है.
आरबीआई गवर्नर ने अक्टूबर 2023 में मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए 2023-24 में 5.4 फीसदी खुदरा महंगाई दर रहने का अनुमान जताया है. जिसमें तीसरी तिमाही में 5.6 फीसदी और चौथी तिमाही जनवरी से मार्च के दौरान 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है. खाद्य वस्तुओं की कीमतें घट रही है और ईंधन सस्ता हुआ तो चीजें सस्ती होंगी. ऐसा हुआ तो आने वाले दिनों में महंगाई दर में कमी आएगी. अक्टूबर 2023 में खुदरा महंगाई दर 4.87 फीसदी पर आ गई है जो जुलाई में 15 महीने के हाई 7.44 फीसदी पर जा पहुंची थी.
खुदरा महंगाई दर के 4 फीसदी पर आने के बाद आरबीआई पर पॉलिसी रेट्स में बदलाव करने का दबाव बढ़ सकता है. वैसे भी संकेत मिल रहे हैं कि अमेरिका में फेड रिजर्व मार्च 2024 में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. जिसका बाद आरबीआई पर भी ब्याज दरें घटाने का दबाव बनेगा. दरअसल मई 2022 के बाद छह आरबीआई ने खुदरा महंगाई दर में तेज उछाल के बाद रेपो रेट को 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया था जिसके चलते कर्ज महंगा हो गया था.
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