Home Business Play School Fees: मेरी पूरी पढ़ाई से ज्यादा खर्च बच्चे के प्ले स्कूल का, सीए की पोस्ट हुई वायरल 

Play School Fees: मेरी पूरी पढ़ाई से ज्यादा खर्च बच्चे के प्ले स्कूल का, सीए की पोस्ट हुई वायरल 

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Play School Fees: मेरी पूरी पढ़ाई से ज्यादा खर्च बच्चे के प्ले स्कूल का, सीए की पोस्ट हुई वायरल 

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School Fees Issue: शिक्षा का खर्च तेजी से बढ़ता ही जा रहा है. बच्चों की फीस लाखों में पहुंच चुकी है. हर अभिभावक चाहता है कि वह अपने बच्चे को दुनिया की सबसे बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध कराए. मगर, इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. पढ़ाई के इस भारी भरकम खर्च को झेलने में अभिभावकों की कमर टूट रही है. इसी दर्द को जब दिल्ली की एक सीए ने बयान किया तो उनकी पोस्ट तुरंत वायरल हो गई. इस पर कई लोगों ने अपनी-अपनी कहानी शेयर की है. उन्होंने लिखा कि मेरी पूरी पढ़ाई का खर्च इतना नहीं था जितना कि मेरे बच्चे के प्ले स्कूल की फीस है. 

प्ले स्कूल की फीस 4.3 लाख रुपये सालाना 

दिल्ली के रहने वाले चार्टर्ड अकउंटेंट (CA) आकाश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि मेरे बेटे के प्ले स्कूल की फीस मेरी पूरी शिक्षा दीक्षा के दौरान खर्च हुई रकम से भी ज्यादा है. आकाश कुमार ट्रडिंग का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि बच्चे के प्ले स्कूल की फीस 4.3 लाख रुपये सालाना है. मैं आशा करता हूं कि वो वहां अच्छे से खेलना सीख ले. इस पोस्ट के साथ उन्होंने एक स्क्रीनशॉट भी लगाया है, जिसमें बच्चे के प्ले स्कूल की फीस का ब्रेकडाउन है. इसमें रजिस्ट्रेशन, एनुअल चार्ज और टर्म फीस शामिल है.

सोशल मीडिया पर मिला जबरदस्त रिएक्शन 

आकाश कुमार की इस पोस्ट को अब तक 20 लाख से ज्यादा व्यू मिल चुके हैं. इसे 15 हजार लाइक, 2100 से ज्यादा रीट्वीट और हजारों कमेंट भी इस पोस्ट पर आ चुके हैं. इस पर कई तरह के रोचक कमेंट आ रहे हैं. इस विशालकाय फीस पर कई लोगों को आश्चर्य हुआ है. साथ ही इन प्ले स्कूल द्वारा दी जा रही सेवाओं के स्तर पर भी बहस छिड़ गई है. एक यूजर ने लिखा कि कई एमएनसी अपने कर्मचारियों को इससे कम सालाना वेतन देती हैं. मैं चाहता हूं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस सेक्टर में भी उतरे. एक अन्य यूजर ने इसका दोष सरकार के मत्थे मढ़ दिया. उन्होंने लिखा कि सरकारी स्कूलों की दुर्दशा के चलते यह हालत पैदा हुए हैं. एक अन्य ने लिखा कि फैंसी बिल्डिंग और सुविधाएं अभिभावकों की डिमांड हैं इसलिए उन्हें यह पैसा भी भुगतना पड़ रहा है.

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