Home Business आर्थिक आजादी चाहिए तो कमाने पड़ेंगे 40 लाख रुपये, नौकरियों में भी महिलाओं की संख्या कम

आर्थिक आजादी चाहिए तो कमाने पड़ेंगे 40 लाख रुपये, नौकरियों में भी महिलाओं की संख्या कम

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आर्थिक आजादी चाहिए तो कमाने पड़ेंगे 40 लाख रुपये, नौकरियों में भी महिलाओं की संख्या कम

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Economic Decision by Women: महिलाओं की आर्थिक आजादी पर हमेशा बात होती रहती है. सरकार भी उनके लिए अलग-अलग प्रकार की योजनाएं लाती है ताकि वह अपने हिसाब से वित्तीय निर्णय ले सकें. मगर, हाल ही में आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि महिलाओं को आर्थिक आजादी पाने के लिए पुरुषों से ज्यादा कमाना पड़ता है. साथ ही आपकी आय और समृद्धि भी इसमें बड़ा रोल निभाती है. पूरी तरह से वित्तीय निर्णय लेने वाली महिलाएं 40 लाख रुपये सालाना से ज्यादा कमा रही हैं. साथ ही नौकरियों में भी उनकी संख्या फिलहाल बहुत कम है. 

आर्थिक आजादी हासिल करने के लिए उम्र भी बड़ा पैमाना

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डीबीएस (DBS) और क्रिसिल (Crisil) द्वारा किए गए सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं को 10 लाख रुपये सालाना कमाने से पूरी तरह से आर्थिक आजादी नहीं मिल रही है. उन्हें इसके लिए कहीं बड़ी रकम कमानी पड़ रही है. उनके लिए यह आंकड़ा 40 लाख रुपये पर पहुंच रहा है. साथ ही देश में आर्थिक आजादी हासिल कर चुकी महिलाओं की उम्र 45 साल से ज्यादा है. इसके अलावा उनके शहर का भी इसमें बड़ा प्रभाव पड़ता है. 

भारतीय वर्कफोर्स में महिलाओं की संख्या सिर्फ 37 फीसदी

डीबीएस और क्रिसिल के सर्वे के मुताबिक, 10 लाख से ऊपर कमाने वाली 47 फीसदी महिलाओं ने बताया कि वह वित्तीय निर्णय ले पाती हैं. यह आंकड़ा टियर-2 शहरों में रहने वाली महिलाओं के लिए सिर्फ 41 फीसदी ही है. हालांकि, जो महिलाएं 40 लाख रुपये सालाना से ज्यादा कमा रही हैं, उनमें से 65 फीसदी अपने वित्तीय निर्णय खुद लेती हैं. सर्वे में यह भी पता चला कि भारतीय वर्कफोर्स में महिलाओं की संख्या सिर्फ 37 फीसदी है. महिलाओं और पुरुषों के बीच वेतन भी अलग-अलग है. यह अंतर फिलहाल कम होता नहीं दिखाई दे रहा.

चेन्नई में सबसे ज्यादा महिलाएं ले रहीं अपने आर्थिक निर्णय 

सर्वे में एक और दावा किया गया है कि यदि महिला समृद्ध बैकग्राउंड से है तो उसे अपने वित्तीय निर्णय लेने में ज्यादा आसानी होती है. इसके मुताबिक, 41 से 50 लाख रुपये सालाना कमाने वाली और समृद्ध परिवार से आने वाली 58 फीसदी महिलाएं अपने आर्थिक निर्णय खुद लेती हैं. यही आंकड़ा गैर समृद्ध परिवार से आने वाली महिलाओं में सिर्फ 38 फीसदी रह जाता है. आंकड़ों के अनुसार, चेन्नई में सबसे ज्यादा 72 फीसदी महिलाएं आपने आर्थिक निर्णय खुद ले रही हैं. इसके बाद 65 फीसदी के साथ दिल्ली का नंबर है.

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