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Insurance New Rules: इंश्योरेंस एजेंट नहीं लगा पाएंगे आपको चूना, बनाने पड़ेंगे वीडियो-ऑडियो!

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Insurance New Rules: इंश्योरेंस एजेंट नहीं लगा पाएंगे आपको चूना, बनाने पड़ेंगे वीडियो-ऑडियो!

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Insurance Agent: जल्द ही इंश्योरेंस एजेंट (Insurance Agents) आपको चूना नहीं लगा सकेंगे. उन्हें आपको किसी भी प्लान की जानकारी देते समय ऑडियो-विजुअल रिकॉर्ड (Audio-Visual Records) रखना होगा. इस दौरान उन्हें पॉलिसी की पूरी जानकारी देनी होगी. इस वजह से मिस सेलिंग (Mis Selling) की घटनाओं पर रोक लग जाएगी. 

मिस सेलिंग के मामलों में आया जबरदस्त उछाल 

पिछले कुछ समय में मिस सेलिंग यानी गलत जानकारी देकर लोगों को बीमा पॉलिसी (Insurance Policy) बेचने के मामलों में जबरदस्त उछाल आया है. बाद में कंज्यूमर फोरम में हजारों केस आते हैं. इनमें कमी लाने के लिए नया नियम जल्द ही आ सकता है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस संबंध में हाल ही में वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा है. मंत्रालय ने पत्र के जरिए नियमों में बदलाव की मांग की है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मांग की है कि इंश्योरेंस एजेंट नियम एवं शर्तों या फिर पॉलिसी की समरी को पढ़कर सुनाएं.

ज्यादातर विवाद सिर्फ नियम एवं शर्तों की गलत जानकारी की वजह से

उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने वित्त सेवा सचिव विवेक सिंह ने यह पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि उपभोक्ताओं और इंश्योरेंस एजेंट के बीच ज्यादातर विवाद सिर्फ नियम एवं शर्तों की गलत जानकारी की वजह से होते हैं. इंश्योरेंस एजेंट पॉलिसी के सिर्फ सकारात्मक पक्ष ही उपभोक्ताओं को बताते हैं. यही वजह है कि आगे जाकर कई विवाद खड़े होते हैं. 

इरडा को लेना है नई शर्तों पर आखिरी निर्णय 

इस मसले पर आखिरी निर्णय इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) को लेना है. बीमा सेक्टर में नियमों का निर्धारण इरडा ही करता है. इसके अलावा पत्र में इंश्योरेंस पॉलिसी के नियम एवं शर्तों में अस्पष्ट भाषा का मुद्दा भी उठाया गया है. उन्होंने कहा है कि इतनी कठिन भाषा के चलते उपभोक्ताओं को बहुत दिक्कत होती है. रोहित कुमार सिंह ने लिखा है कि ग्रामीण जनता के हिसाब से स्थानीय भाषाओं में भी बीमा पॉलिसी की नयम एवं शर्तें बताई जाएं. 

उपभोक्ता अदालत में पड़े हुए हैं ऐसे कई मामले 

कई मामलों में जब पॉलिसी होल्डर क्लेम के लिए अप्लाई करते हैं तो बीमा कंपनियां उन्हें नए नियम बता देती हैं. इससे विवाद खड़े होते हैं और मामले उपभोक्ता अदालत में चले जाते हैं. इसके अलावा नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रेड्रेसल कमीशन के प्रेसिडेंट जस्टिस अमरेश्वर प्रताप ने मेडिकल इंश्योरेंस पर 24 घंटे भर्ती रहने का नियम खत्म करने की सिफारिश की है.

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