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<p>पेटीएम ब्रांड के तहत ऑपरेट करने वाली फिनटेक कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस की अनुषंगी पर आरबीआई के एक्शन के 2 महीने से ज्यादा समय बीत चुके हैं. हालांकि अभी भी उसकी मुसीबतें कम नहीं हुई हैं. आरबीआई के एक्शन के बाद पहले तो पेमेंट्स बैंक ऑपरेशन बंद हुआ. वहीं दूसरी ओर यूपीआई ट्रांजेक्शन में हर महीने गिरावट आ रही है. इसका फायदा अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनियों को हो रहा है.</p>
<h3>पहली बार 10 फीसदी से कम हुआ हिस्सा</h3>
<p>नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च महीने में यूपीआई लेन-देन में पेटीएम की हिस्सेदारी कम होकर 9 फीसदी पर आ गई. एक महीने पहले फरवरी में टोटल यूपीआई ट्रांजेक्शन में पेटीएम की हिस्सेदारी 11 फीसदी रही थी. वहीं साल के पहले महीने जनवरी में यूपीआई ट्रांजेक्शंस में पेटीएम की हिस्सेदारी 11.8 फीसदी रही थी.</p>
<h3>इस तरह से कम होते गए ट्रांजेक्शन</h3>
<p>जनवरी महीने में पेटीएम ने 1.4 बिलियन यूपीआई पेमेंट को प्रोसेस किया था. यह कम होकर फरवरी में 1.3 बिलियन पर आ गया. उसके बाद मार्च में और कम होकर पेटीएम के द्वारा प्रोसेस किए गए पेटीएम ट्रांजेक्शन की संख्या 1.2 बिलियन रह गई. आरबीआई ने वन97 कम्युनिकेशंस की अनुषंगी पेटीएम पेमेंट्स बैंक के ऊपर जनवरी के अंत में कार्रवाई की थी. इसका मतलब हुआ कि आरबीआई के एक्शन के बाद यूपीआई ट्रांजेक्शन में पेटीएम का शेयर हर महीने कम होता जा रहा है.</p>
<h3>फायदे में गूगलपे और फोनपे</h3>
<p>पेटीएम के इस नुकसान से प्रतिस्पर्धी कंपनियों को फायदा हो रहा है. जनवरी के बाद से गूगलपे और फोनपे जैसी प्रतिस्पर्धियों की यूपीआई ट्रांजेक्शन में हिस्सेदारी बढ़ी है. मार्च महीने में गूगलपे ने 6.3 फीसदी की ग्रोथ के साथ 5 बिलियन यूपीआई ट्रांजेक्शन को प्रोसेस किया. जनवरी में यह आंकड़ा 4.4 बिलियन पर था, जो फरवरी में बढ़कर 4.7 बिलियन हो गया था. इसी तरह फोनपे ने 5.2 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की और मार्च में 6.5 बिलियन यूपीआई ट्रांजेक्शन को प्रोसेस कर नंबर-1 बनी. फोनपे ने फरवरी में 6 बिलियन और जनवरी में 5.7 बिलियन ट्रांजेक्शन को प्रोसेस किया था.</p>
<h3>अकेले पेटीएम के पास था आधा बाजार</h3>
<p>यूपीआई ट्रांजेक्शन के मामले में एक समय पेटीएम का वर्चस्व हुआ करता था. 2018 से 2019 के दौरान टोटल यूपीआई ट्रांजेक्शन में अकेले पेटीएम की हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा हुआ करती थी. धीरे-धीरे बाजार में गूगलपे, फोनपे, मोबिक्विक समेत कई अन्य कंपनियों की एंट्री होती गई और पेटीएम का शेयर कम होता गया. अब आरबीआई के एक्शन के बाद पेटीएम की हिस्सेदारी में तेज गिरावट आ रही है. एक समय पेटीएम ट्रांजेक्शन के मामले में पहले नंबर पर थी, लेकिन अब फोनपे और गूगलपे जैसी टॉप कंपनियों की तुलना में उसकी हिस्सेदारी कई गुना कम हो चुकी है.</p>
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