[ad_1]
SEBI Decision: बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने शेयर ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों को ग्राहकों के फंड पर एक मई से नई बैंक गारंटी लेने से रोक दिया है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को एक परिपत्र में कहा कि शेयर ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों को अपनी सभी मौजूदा बैंक गारंटी सितंबर के अंत तक वापस लेने का भी निर्देश जारी किया गया है.
सेबी ने परिपत्र में कहा है- ‘‘एक मई, 2023 से शेयर ब्रोकर और क्लियरिंग सदस्य ग्राहकों के पैसे से कोई भी बैंक गारंटी नहीं ले पाएंगे. ग्राहकों के फंड से अभी तक ली गईं सभी बैंक गारंटी को 30 सितंबर, 2023 तक समेटना होगा.”
क्या है बैंक गारंटी के इस्तेमाल का मौजूदा तरीका
मौजूदा समय में शेयर ब्रोकर और क्लियरिंग सदस्य ग्राहकों के पैसे को बैंकों के पास गिरवी रखते हैं. बैंक यह रकम ज्यादा फायदे के लिए क्लियरिंग निगमों को बैंक गारंटी के तौर पर जारी करते हैं. इस प्रक्रिया में ग्राहकों का पैसा बाजार जोखिमों के अधीन आ जाता है. हालांकि, यह प्रावधान शेयर ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों के स्वामित्व वाले कोष पर लागू नहीं होगा.
सैमको सिक्योरिटीज के फाउंडर और सीईओ ने क्या कहा
फाइनेंशियल एक्सप्रेस को दिए एक बयान में सैमको सिक्योरिटीज के फाउंडर और सीईओ जिमीत मोदी ने कहा कि स्टॉक ब्रोकर्स ग्राहकों के पैसे का इस्तेमाल करके अत्यधिक मुनाफा उठा रहे थे जबकि किसी जोखिम की स्थिति में कस्टमर्स का पैसा ही फंस सकता है या बाजार जोखिमों के अधीन आ सकता है. इस सर्कुलर के आधार पर, सेबी ने यह सुनिश्चित किया है कि इस तरह के पैसे के संचालन पर रोक लगाई जाए.
उनके मुताबिक आज, ग्राहक के खाते में पड़े 100 रुपये के फंड के लिए, शेयर ब्रोकर 100 रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट बना सकते हैं और फिर उस पर 100 रुपये की अतिरिक्त बैंक गारंटी ले सकते हैं. इस तरह से 100 रुपये के फंड से कुल कोलेट्रल को 200 रुपये तक ले जा सकते हैं. इस अतिरिक्त बैंक में 100 रुपये की गारंटी और लीवरेज ब्रोकर्स के खाते में आती है, जबकि इस्तेमाल की गई मूल धनराशि ग्राहकों की थी. जिमीत मोदी ने कहा कि इसका परिणाम संभावित रूप से ब्लैक स्वान इवेंट में हो सकता है, जहां एक ब्रोकर का भंडाफोड़ हो सकता है और गारंटी का आह्वान किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें
[ad_2]
Source link